श्री दत्तात्रेय प्रागट्य रहस्य
अलग अलग पुराणों में “दत्त प्रागट्य रहस्य” की अद्भुत कथा है। पृथ्वीलोक (मृत्युलोक) की मातृ शक्ति का गुणगान बढ़ाने हेतु देवर्षि नारद ब्रह्मलोक गए है। ब्रह्मलोक में ब्रह्माणी के पास जाकर वंदन करते हुए माता अनसूया के सतित्व की महिमा का गुणगान कर बोल रहे है कि, “पृथ्वीलोक में महासती माता अनसूया की शिष्या शाण्डिली के पति कौशिक को, मांडव्य ऋषि ने श्राप दिया है कि सूर्योदय होते ही उनका देहांत होगा । परंतु सति शाण्डिली ने निरंतर सात दिन सूर्योदय होने ही नही दिया। अंत मे देवो ने माता अनसूया को......
संन्यास किसे कहते है ?
संन्यास का संक्षेप अर्थ है कि "द्रव्य में, नारी में, प्रतिष्ठा में और जायदाद में, धन में आदि में मन...
ईश्वर के प्रति प्रेम कैसे बढे ?
इस जगत में सत्संग बहुत जरुरी हे ईश्वर को जानने के लिए | अगर आपको इसकी गहराई में जाना हो...